


मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (MP ESB) अब परीक्षाओं में अभ्यर्थियों की पहचान बायोमेट्रिक थंब इंप्रेशन के बजाय फेस रिकग्निशन तकनीक से करेगा। इससे फर्जीवाड़ा रोकने में मदद मिलेगी और पहचान प्रक्रिया एक मिनट में पूरी हो सकेगी।
24 जून को प्री-नर्सिंग टेस्ट में होगा पहली बार ट्रायल
मंडल के निदेशक साकेत मालवीय ने बताया कि फेस रिकग्निशन तकनीक को पायलट प्रोजेक्ट के तहत पहली बार 24 जून को होने वाली प्री-नर्सिंग सिलेक्शन टेस्ट में इस्तेमाल किया जाएगा। ट्रायल सफल रहने पर इसे जुलाई से सभी आगामी भर्ती परीक्षाओं में लागू किया जाएगा। अभी तक परीक्षाओं में बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन ही पहचान का माध्यम था।
2021 में UIDAI ने शुरू की थी यह तकनीक
यह तकनीक भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा 2021 में शुरू की गई थी। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) की मदद से अभ्यर्थियों के लाइव चेहरे का मिलान आधार डेटा से किया जाता है। इसे सुरक्षित, आधुनिक और छेड़छाड़ से मुक्त तकनीक माना जाता है।
फेस रिकग्निशन सिस्टम कैसे करेगा काम
UIDAI से मिलेगा आधार डेटा: ESB, UIDAI से परीक्षार्थियों के आधार लिंक डेटा की मांग करेगा, जिसे वह सरकारी संस्थाओं को नि:शुल्क उपलब्ध कराता है।
चेहरे से होगा सत्यापन: एक विशेष सॉफ्टवेयर के माध्यम से कैंडिडेट के चेहरे को आधार में मौजूद फोटो से मिलाया जाएगा।
कैमरा युक्त डिवाइस का उपयोग: जैसे थंब इम्प्रेशन के लिए मशीन होती है, वैसे ही चेहरे की पहचान के लिए कैमरा युक्त टैबलेट या मोबाइल का उपयोग होगा, जिससे लाइव चेहरा स्कैन किया जाएगा।
आरक्षक भर्ती घोटाले के बाद लिया गया फैसला
पिछले साल पुलिस आरक्षक भर्ती 2023 में सामने आई गड़बड़ियों और फर्जीवाड़े को देखते हुए चयन मंडल ने यह कदम उठाया है। अब फेस रिकग्निशन तकनीक से परीक्षा प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी, तेज़ और सुरक्षित बन जाएगी।